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दोराहों पर आकर रुक जाना,
ये तेरी फितरत कब से हुई ?
आँधी तूफानों से डर जाना,
ये तेरी फितरत कब से हुई ?
तू ज्वाला है ये कब भूला तू ?
जलाकर लौ खुद बुझ जाना,
ये तेरी फितरत कब से हुई?
अँधेरा है तो क्या हुआ ?
ये जुगनू तेरे साथी हैं |
काली रातों से घबराना,
ये तेरी फितरत कब से हुई ?
तू खुद है तेरा पहरेदार,
न चाहत रख सहारों की,
अकेलेपन से मुरझाना,
ये तेरी फितरत कब से हुई ?
रक्त को अपने जमने ना दे,
रगों में आग जलाए रख,
शीतल झोंको में घिर जाना,
ये तेरी फितरत कब से हुई ?
ये वक़्त गवाह है पूछ इसे,
कई बार हैं जीते रण तूने|
मंज़िल से पहले थम जाना,
ये तेरी फितरत कब से हुई?
इस हार से क्यूँ संतुष्ट है तू?
ज़मीर क्या तूने मार दिया?
खुद की नज़रों में गिर जाना,
ये तेरी फितरत कब से हुई?
hindi poems, motivational poem, shivani lawaniya July 02, 2017 at 10:29PM
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